Author: |
साधुराम दर्शक |
ISBN: |
|
Edition: |
|
Multiple Book Set: |
No |
संग्रह की अनेक कहानिया मैंने पढ़ी है , और लेखक की कला के अनेक पहलुओं से प्रभावित हुआ हूं . यथार्थ जीवन पर उनकी पकड़ है , दृश्या - चित्रण प्रभावशाली है और सबसे बात , कहानिया सरल है , पढ़ने वाला उन्हें बड़ी रूचि के साथ पढता है . हमारे यह कहानी की जिस परम्परा का सूत्रपात प्रेमचंद ने किया था के कथानक यथार्थ जीवन में से निकल कर आये और कहानी आदर्शोन्मुख हो , उसमें नैतिक तत्व हो , सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा हो लेखक समाज के अंदर पाए जाने वाले अंत विरोधो के प्रति सचेत हो , और अपनी लेखनी दवारा उन् अंत विरोधो के सामने लाये .
Available Options:
: