Author: |
भगवत शरण उपाध्याय |
ISBN: |
8170071453 |
Edition: |
जुलाई 2016 |
Multiple Book Set: |
No |
डॉ. भगवत शरण उपाधया जैसे इतिहासकार , पुराविद और पुरातात्विक मामलों में शोध कार्य विशषज्ञ लेखक की इस महत्वपूर्ण पुस्तक की प्रस्तावना लिखने का विचार ही एक प्रकार की धृष्टता है . फिर भी कुछ कारन विशेष से मुझे यह प्रस्तावना लिखने की प्रेरणा मिली . फलत: मैं प्रस्तावना के यह शब्द जोड़ रहा हूँ . भगवत शरण जी की इस पुस्तक के कुछ अंश जान युग तथा अंग्रेजी साप्ताहिक न्यू एज में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुए थे .
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