Author: |
संपादक : लीलाधर मंडलोई |
ISBN: |
9788170072256 |
Edition: |
मई 2011 |
Multiple Book Set: |
No |
सुंदरता के अवतार हमारे सामने रात दिन होता रहता है . अब यह हम पर है के अपने सामने और चारों और की इस अनंत और अपार लीला को कितना अपने अंदर घुला सकते हों . तस्वीर , ईमारत , मूर्ति , नाच , गाना , और कविता , ------ इन सब में बहुत कुछ एक ही बात अपने ढंग से खोलकर या छिपकर या कुछ खोलकर , कुछ छिपाकर कहि जाती है .