Author: |
वसीली सुखोमलिसंकी |
ISBN: |
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Edition: |
जनवरी2011 |
Multiple Book Set: |
No |
माननीय पाठको और मेरे सहयोगिओं ! ३३ साल तक मैंने ग्रामीण स्कूल में काम किआ , इससे मई अपना परम सौभग्य मानता हूँ , इन वर्षों में मैंने बहुत कुछ देखा , सोचा विचारा , जाना समझा , कई बातों को ले कर मेरा मन चिंतित हुआ व्यथित हुआ , इन्ही अनभुवों , इसी चिंतन और मनन का परिणाम है प्रस्तुत पुस्तक .
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